बीत गए ये महीने मकान के चार दीवारों में. बीत गए ये महीने मकान के चार दीवारों में.
बेसब्र थी एक रोज़ अब सब्र रखना सीख गई हूं,।। बेसब्र थी एक रोज़ अब सब्र रखना सीख गई हूं,।।
एक प्राचीन प्रथा, एक स्त्री की व्यथा बहुत पहले हमारे राजस्थान की कथा। एक प्राचीन प्रथा, एक स्त्री की व्यथा बहुत पहले हमारे राजस्थान की कथा।
जल छू के लो प्रण, बुन डालो मधुर तरंगिनि। जल छू के लो प्रण, बुन डालो मधुर तरंगिनि।
हर शस्त्र मेरा तीव्र ,तीक्ष्ण जिसका प्रमाण ये संसार! हर शस्त्र मेरा तीव्र ,तीक्ष्ण जिसका प्रमाण ये संसार!
मैं हूँ जैसी...। मैं हूँ जैसी...।